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हम प्यार किससे करें?

हम प्यार किससे करें?

प्यार को जानें
सवाल बड़ा ही स्वाभाविक है कि हम प्यार किससे करें? लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि पहले हम यह जाने कितने आखिर प्यार होता क्या है? आजकल जिसे हम प्यार कहते हैं क्या वही प्यार है या प्यार का मतलब कुछ और होता है ।क्योंकि हम अक्सर यह भी सुनते हैं कि जमाना प्यार का दुश्मन है तो दूसरी तरफ हम यह भी सुनते हैं कि प्यार अनमोल एहसास है ।यहीं पर हमें ठहर कर कुछ सोचने की जरूरत होती है कि प्यार करने या न करने के पहले हम यह जान लें कि प्यार आखिर होता क्या है?

प्यार इसे कहते हैं?

हम जमाने की बात करें तो हमें कभी-कभी यह महसूस होता है कि एक हम उम्र विपरीत लिंग के साथी का सानिध्य ही प्यार है ।अथवा जवान जोड़े का स्वाभाविक लगाव ही प्यार होता है ।लेकिन नहीं दोस्तों प्यार यह नही होता प्यार तो कुछ और ही होता है ।प्यार एक समर्पण है जो बिना शर्त किसी के लिए भी हो सकता है ।वह कोई हम उम्र विपरीत लिंग के प्रति भी हो सकता है तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए दिल से निकलने वाली दुआ भी हो सकता है ।क्योंकि प्यार कोई वस्तु नही बल्कि प्यार महज आप के दिल, स्वभाव या आदत का वह मानवीय पहलू होता है जो अपने एहसास मात्र से सकारात्मक ऊर्जा का विकास करता है ।प्यार कोई आकर्षण नही बल्कि प्यार अपनी अंतरात्मा को भली-भांति जानने-समझने की सात्विक प्रवृत्ति मात्र है ।

तो फिर किससे करें प्यार

इस सवाल का बेहद अजीब जवाब है और वह यह है कि प्यार हमें खुद अपने से करने की कोशिश करनी चाहिए न कि किसी और से ।इसका कारण यह है कि जब तक हम अपने आप से प्यार नही करेंगे तब तक हमें सचमुच प्यार की स्वाभाविकता का ज्ञान नही हो सकता और जब तक हमें खुद प्यार का एहसास नही होगा तो भला हम किसी और से प्यार कैसे कर सकते हैं ।हां हम तब प्यार करने का नकली एहसास जरूर कर सकते हैं मगर सच्चा प्यार हम किसी से तभी कर सकते हैं जब हमें खुद अपनी सकारात्मक ऊर्जा से लगाव होगा क्योंकि यह ऊर्जा ही हमारा और हमारे संसार का सबसे बड़ा सत्य है ।

प्यार कब करें?

प्यार कब करें यह सवाल तब पैदा होता है जब प्यार स्वाभाविक नही बल्कि कृत्रिम होता है वर्ना प्यार की उम्र या प्यार का कोई मुहूर्त नही होता ।कुछ लोग कहते हैं पहले अपना कैरियर संभालो फिर प्यार के रास्ते में चलने की कोशिश करना तो ऐसा प्यार दो लोगों के बीच शारीरिक नजदीकी तो ला सकता है लेकिन मानसिक और आत्मीय नजदीकी तब तक नही आती जब हम अपने आप से प्यार करने की कला नही सीख लेते ।

हमारा निष्कर्ष हमारा प्यार

निष्कर्ष और प्यार का तात्पर्य यह है कि हमें पहले खुद से प्यार करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि हमें देश दुनिया और समाज की सच्चाई का एहसास हो सके ।हमें किसी और से प्यार की उम्मीद भी तभी लगाना चाहिए जब हम खुद प्यार को किसी को देने या बांटने के काबिल हो जाएं ।

धन्यवाद

लेखक :के पी सिंह
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