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दुनिया को स्मार्ट बनाने वाले खास आविष्कार

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क्या सचमुच हम एक स्मार्ट दुनिया में जी रहे हैं?

अगर आप के पास इस सवाल का जवाब हां है यानी आप यह मानते हैं कि हम आप आज जिस आधुनिक दुनिया में जी रहे हैं वह स्मार्ट दुनिया हैं तो हम आपको यह भी इस लेख में बताने की कोशिश करेंगे कि हम जिस आधुनिक दुनिया में जी रहे हैं तो उसे स्मार्ट बनाने में कौन-कौन से प्रमुख विज्ञान के आविष्कारों का हांथ है ।
लेकिन इससे पहले कि हम आप को विज्ञान के इन दुनिया बदलने वाले आविष्कारों की लिस्ट में ले जाएं जरा याद कीजिए कि आप ने हांथ से किसी मित्र या रिश्तेदार को अंतिम बार चिट्ठी कब लिखी थी?
मुझे नहीं लगता कि आप इस सवाल का जवाब दे पाएंगे क्योंकि आज हम मेल या ईमेल के जमाने में हांथ से लिखे पत्र की कल्पना भी नही कर सकते ।
यह बिल्कुल सच है दोस्तों कि हमारी दुनिया पिछले तीस चालीस सालों में बदल चुकी है और इसके पीछे जिन अहम आविष्कारों की सबसे खास भूमिका है उनका वर्णन इस प्रकार है-

Wwwया वर्ल्ड वाइड वेब

इसे नेटवर्क का नेटवर्क कहा जाता है ।कम्प्यूटर कनेक्शन के इन्फ्रास्ट्रक्चर से हम वर्ल्ड वाइड वेब के प्रयोग द्वारा ईमेल भेजने या फाइल शेयर करने के साथ-साथ सर्च इंजन में कुछ संकेत अक्षर लिख कर किसी विषय विशेष से संबंधित जानकारी ढूंढने में सक्षम हैं ।इन्टरनेट की आधारशिला यद्यपि 1979 से पहले ही रखी जा चुकी थी लेकिन दुनिया के दैनिक कामकाज के ढंग को बदलकर रख देने वाले इस इस नायाब तरकीब का प्रयोग 1990 के बाद तब प्रारंभ हुआ जब www की खोज टिम बर्न ने की थी ।

पीसी अथवा लैपटॉप कम्प्यूटर

सन् 1981 में आईबीएम ने आईबीएम 5150 माडल के लांच द्वारा पीसी नाम को चर्चित किया था ।1981 में ही आसबर्न1 नामक पहला लैपटॉप बाजार में उतारा था ।हालाकि इसका वजन दस किलोग्राम से भी ज्यादा था बावजूद इसके पिछले दो दशकों में कम्प्यूटर और लैपटॉप लगातार छोटे हल्के और पोर्टेबल होते गए हैं और साथ साथ इनकी ताकत भी बढती गई है ।फलस्वरूप दुनियाभर में इनकी हर वक्त मांग बढती ही जा रही है ।

मोबाइल फोन

क्या आपको पता है कि पहला मोबाइल फोन 1982 में बाजार में आया था ।इसे बनाने वाली कंपनी नोकिया थी ।आप को हैरानी होगी कि आज जिस मोबाइल के वजन की कल्पना हम पचास ग्राम से ज्यादा नही कर सकते उस मोबाइल का तब वजन दस किलोग्राम से अधिक था ।आज मोबाइल ने केवल अपने दम पर किस तरह दुनियाभर को बदल दिया है इस बात से शायद ही कोई अनजान हो ।

ई-मेल

भले ही इलेक्ट्रॉनिक मेल द्वारा संदेशों को सन 1960 के दशक में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोग्रामरो द्वारा टाइम शेयरिंग कम्प्यूटर प्रणाली द्वारा भेजा गया था लेकिन वास्तव में आम आदमी द्वारा पहली बार ईमेल का प्रयोग 1980 के दशक के अंतिम सालों में भी नही हुआ था ।इसका पहला प्रयोग पब्लिक द्वारा 1990 के बाद ही प्रारंभ हो सका था ।इस बात से इन्कार नही किया जा सकता कि निसंदेह ईमेल ने दुनिया को बदलकर रख दिया है ।

डीएनए टेस्ट और मानव जीनोम मैपिंग

यह सच है कि सन 1953 में वाटसन तथा क्रिक ने डीएनए की खोज कर ली थी लेकिन बावजूद इसके 1970 के बाद ही वैज्ञानिक डीएनए अणुओं का अनुक्रमण करने में सफलता प्राप्त की थी ।लेकिन सच कहें तो इस दिशा में असली क्रांति तब आई थी जब 1990 में अमेरिकन सरकार ने मानव जीनोम की मैपिंग के प्रयास करना प्रारंभ किया ।और यह प्रयास पहली बार 2003 में सफल हुआ था ।इसने हम सब के जीवन में क्या भारी परिवर्तन कर दिया है हर कोई जानता है ।

MRI मैग्नेटिक रीजोनेशं इमेजिंग

1970 के दशक में वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर मैग्नेटिक रीजोनेशं के प्रयोग द्वारा तस्वीर तैयार करने की विधि का पता लगाया था ।वास्तव में वैज्ञानिकों ने इन तस्वीरों का प्रयोग ऊतक नमूनों के आधार पर बीमारियों का पता लगाने के लिए किया था ।सन 1977 में एक प्रोटोटाइप एमआरआई मशीन द्वारा पहली बार पूरे मानव शरीर को स्कैन किया गया था लेकिन यह दुर्लभ तकनीक आम आदमी तक 1990 के आखिरी दशक में ही पहुंच पाई थी ।

माइक्रोप्रोसेसर

एक माइक्रोप्रोसेसर अपने आप में अकेला एकीकृत परिपथ होता है ।जिसकी अपनी एक सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट होती है ।सन 1970 के दशक में कैलकुलेटर में प्रयोग के तौर पर पहली बार इसका विकास किया गया था ।1970 के दशक के अंतिम सालों में इस तकनीक ने माइक्रो कम्प्यूटर के विकास का मार्गदर्शनकिया था ।

फाइबरआपटिकस

आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि इस तकनीक के पीछे मौजूद विज्ञान का अध्ययन सन 1800 से किया जा रहा है ।लेकिन संचार माध्यमों के उपयोग लायक इसकी गुणवत्ता में व्यापक सुधार 1970 के बाद हुआ था ।अपनी खूबियों के चलते केबल के रूप में फाइबर आपटिक जल्दी ही श्रेष्ठ माध्यम बन गया ।इससे 100 गीगाबाइटस प्रति सेकंड से ज्यादा तेज गति से संकेत भेजे जा सकते हैं ।

आफिस साफ्टवेयर

वर्ल्ड प्रोसेसिंग और स्प्रेडशीट से हमारे कारोबार करने का तरीका बदल गया है ।1960/70 के दशक में विकसित किए गए इस साफ्टवेयर से हमारी कार्य शक्ति की विश्लेषण क्षमता और दक्षता में गुणात्मक सुधार आया है ।1979 में विजीकैलक नामक पहला स्प्रेडशीट प्रोग्राम बाजार मे आया था ।1979 में ही लांच वर्ड स्टार प्रोग्राम 1980 के दशक में सबसे लोकप्रिय वर्ल्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम रहा था ।

नान इनवेसिव लेजर रोबोटिक सर्जरी

हमारी दुनिया का 1980 का दशक शल्य चिकित्सा के क्षेत्र के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है ।1987 में पहली बार नान इनवैसिव या लैपरोसकोपिक सर्जरी की शुरुआत हुई थी ।1985 में पहली बार बायोप्सी मे रोबोट का उपयोग किया गया था ।80 के दशक की शुरुआत में वैज्ञानिक समूह ने यह सत्य खोज निकाला कि कार्बनिक ऊतकों को काटने में लेजर का प्रयोग किया जा सकता है सच कहें तो इन सभी खोजों ने रोगियों के लिए सल्यचिकितसा को और भी कारगर और सुरक्षित बनाने में महती भूमिका निभाई है ।

लेखक के पी सिंह
Kpsingh 9775@gmail.com
12022018

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